Hello friends मैं सूरज कुमार यादव हिन्दी सब जानकारी blogg का faunder अपने blogg में आपका बहोत बहोत स्वागत करता हूं दोस्तों आज के इस पोस्ट में हम आपको डिजिटल हैकिंग में इस्तेमाल किऐ जाने वाले कुछ तरिको के बारे में बताएंगे अगर आप जानकारी लेना चाहते हैं तो हमारे इस पोस्ट को अंत तक जरूर पढ़ें
हैकिंग के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले तरीके हैं The methods used for hacking are
: • सिक्योरिटी एक्सप्लॉइट ( Security Exploit )
• वल्नरेबिलिटी स्कैनर ( Vulnerability Scanner )
• पैकेट स्निफर ( Packet Sniffer )
•स्पूफिंग अटैक ( Spoofing Attack )
• ट्रोजन हॉर्स ( Trojan Horse )
•वायरस ( Virus ) वर्म ( Worm )
सिक्योरिटी एक्सप्लॉइट : यह एक ऐसा ऐप्लीकेशन है जिसे सिस्टम की सिक्योरिटी सम्बन्धी कमजोरी की पहचान करने और उसका खुलासा करने और उससे ज्यादा से ज्यादा लाभ उठाने के लिए विकसित किया गया है ।
वलरेबिलिटी स्कैनरः यह एक ऐसा टूल है जिसका इस्तेमाल एक नेटवर्क से जडे कंप्यटरों की सिक्योरिटी सम्बन्धी कमजोरी को जानने के लिए उन पटरों की जांच करने के लिए किया जाता है । ऐप्लीकेशन की कमजोरी के बारे में जानकर व्यक्ति पूरे सिस्टम को क्रश कर सकता है । वलरेबिलिटी स्कैनर का इस्तेमाल प्रोग्रामो या सेवाओं और पोर्ट का इस्तेमाल करने वाले उसके वर्शन ( Version ) नंबर का पता लगाने के लिए कंपनियों के नेटवर्क निस्टेटरों द्वारा किया जाता है । नेटवर्क के माध्यम से एक दूरवर्ती स्थान से नवीनतम वर्शनों के साथ साफ्टवेयर को अपग्रेड करने में भी यह उपयोगी होता है ।
पैकेट स्निफर : यह एक ऐसा एप्लीकेशन है जिसका इस्तेमाल टीसीपीआईपी डेटा पैकेटों को कैप्चर और विश्लेषण करने के लिए किया जाता है । ये देता पैकेट कंप्यूटर या नेटवर्क के माध्यम से ट्रांसमिट किए जाने वाले पास अन्य प्राइवेट डेटा को प्राप्त करने में मदद करते हैं ।
स्पूफिग अटैक : ऐसी परिस्थितियां उत्पन्न हो जाती हैं जहा एक व्याक्त या याम गरकानूनी एक्सेस प्राप्त करने के लिए सफलतापूर्वक किसी अन्य व्यक्ति या प्रोग्राम का मुखौटा पहन लेता है । एक्सेस प्राप्त करने के बाद उन्हें डेटा में परिवर्तन करने की अनमति मिल जाती है । स्पूफिंग अटैक का इस्तेमाल आम तौर पर अन्य व्यक्ति के बैंक खाते क्रेडिट कार्ड , इत्यादि का एक्सेस प्राप्त करने से संबंधित धोखाधडी में किया जाता है ।
ट्रोजन हॉर्सः कछ ऐसे सॉफ्टवेयर भी होते हैं जो कुछ काम करते हुए नजर आते हैं लेकिन असल में , उन्हें आम तौर पर तरह - तरह के दुर्भावनापूर्ण कार्य करने के लिए विकसित किया गया होता है । ये प्रोग्राम कभी - कभी खतरनाक हो सकते हैं लेकिन हमेशा नहीं । ये कंप्यूटर सिस्टम को एक पिछला दरवाजा बना सकते हैं जो बाद में व्यक्ति को एक्सेस प्रदान करता है ।
वायरस : यह एक स्व - नकल प्रोग्राम है जो अन्य एग्जीक्यूटेबल कोड , फाइलों या दस्तावेजों में अपनी कई कॉपियां बनाता है । एक कंप्यूटर वायरस अपनी नकल बनाकर जीवित कोशिकाओं में तेजी से फैलने वाले जैविक विषाणु की तरह काम करता है ।
वर्मः यह भी एक वायरस की तरह का एक स्व - नकल प्रोग्राम है । एक वायरस और एक वर्म के बीच सिर्फ यही अंतर है कि एक वर्म एक सिस्टम में अपनी कई कॉपियां नहीं बनाता है । यह सिर्फ कंप्यूटर नेटवकों के माध्यम से फैलता है
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